जिंदगी जो शेष है, वो विशेष है - सुनील गुप्ता

( 1 ) जिंदगी
जो शेष है,
वही आखिर है विशेष !
क्यूँ परेशां हो, बीते समय के लिए...,
है जो बचा, करलें उसमें कुछ विशेष !!
( 2 ) जो
चला बीते है,
उसपे करें, क्यूँ विचारें !
है जो अभी आना शेष......,
छोड़ उसे,तत्क्षण में बस रमण करें!!
( 3 ) शेष
बचे के लिए जीएं,
क्यूँ पछतावा यहाँ पे करें !
अभी बहुत कुछ है देखना बाकी.....,
चलें अच्छे के लिए सद् प्रयत्न करें!!
( 4 ) है
श्रेष्ठ अभी बचा हुआ,
बहुत कुछ होना बाकी है !
चल, उठ प्यारे आगे की सोच.....,
सफऱ तय करना अभी शेष है !!
( 5 ) वो
देख सुनहरी किरणेँ,
जाग, सवेरा हो चुका !
उठ, बुन फिरसे तू कुछ सपने....,
समय कभी किसी का सगा न रहा !!
( 6 ) विशेष
आना शेष है,
हैं तुझपे श्रीप्रभु कृपाएं !
अब छोड़दे, घड़ियाँ गिनना रे.....,
चल, मंज़िल की ओर कदम बढ़ाएं!!
( 7 ) है
वरदहस्त तुझपे श्रीहरि का,
फिर, काहे को तू चिंता करे !
सब कुछ छोड़ दे, श्रीप्रभु मर्ज़ी पर...,
राम नाम, लेकर बस आगे बढ़ें !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान