तुम मेरे हो - डॉ जसप्रीत कौर फ़लक

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जब   मेरी   नींद  अधूरी  हो

जब ख़ुद से ख़ुद की दूरी हो

जब  कहना बहुत ज़रूरी हो

उस वक़्त कहो - तुम मेरे हो।

सावन  का  पानी  जलता हो

जब शाम का सूरज ढलता हो

जब  मौसम  रंग  बदलता हो

उस वक़्त  कहो- तुम  मेरे हो।

जब   दिल  मेरा घबराता  हो

जब कुछ भी समझ न आता हो

जब  दर्द  भी बढ़ता जाता  हो

उस  वक़्त कहो - तुम मेरे हो।

प्रेम  में भीगा तन - मन  हो

साँसों का  महका  मधुवन हो

जब यादों  का आलिंगन  हो

उस वक़्त कहो- तुम मेरे हो।

मन  की  धरा अकुलाई  हो

जब  रुत मिलन की आई हो

जब  चहुं- ओर  तन्हाई  हो

उस वक़्त कहो - तुम मेरे हो।

जब  धैर्य का बन्धन टूटे तो

जब समय भी मुझसे रूठे तो

जब  सारी  दुनिया पूछे तो

उस वक़्त कहो- तुम मेरे हो।

जब अन्तर्मन  भी  रोता  हो

जब अनचाहा  कुछ होता हो

जब मेरा  धैर्य भी  खोता हो

उस वक़्त कहो - तुम मेरे हो।

जब दुख का बादल छाया हो

जब  हिज्र का गहरा साया हो

उम्मीद  का गुल  मुरझाया हो

उस वक़्त कहो -तुम मेरे हो।

बेताब सी दिल की धड़कन हो

जब क़दम-क़दम पे उलझन  हो

जब  सारी  दुनिया  दुश्मन  हो

उस वक़्त कहो - तुम  मेरे  हो।

जब समय भी करता साज़िश हो

जब  दिल में  दबी  ख़्वाहिश हो

जब  कुछ कहने पे  बन्दिश हो

उस  वक़्त कहो - तुम  मेरे हो।

न  रस्ता  हो  न  मंज़िल हो

जब सहमा - सहमा सा दिल हो

जब कुछ भी कहना मुश्किल हो

उस  वक़्त कहो - तुम मेरे हो।

- डॉ जसप्रीत कौर फ़लक , लुधियाना, पंजाब