हम साथ-साथ हैं - सुनील गुप्ता

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 (1) चलें

हम सँग-साथ,

यूँ ही हाथों में, हाथ पकड़ते  !

और चलें सभी दुःख-सुख बाँटते....,

यूँ ही सदा, प्रेम-विश्वास जतलाते !!

(2) मिले

जब से हम दोनों,

चुनी एक राह, मिल के हमने  !

कुछ सपने, यहाँ देखे-बुनें तुमने....

और कुछ लक्ष्य, किए तय हमने !!

(3) गिले

शिकवे सभी भूलाते,

जीवन सफर पे, गए बढ़ते  !

और सभी दंभ-अहम् को छोड़ते....,

चले मंज़िल शिखर को चूमते हँसते !!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान