विजय अभियान - अशोक यादव

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जागो! सफलता की राह है दुर्गम और कठिन।

सुबह का सूरज शंखनाद कर रहा है प्रतिदिन।।

निद्रा की देवी कोई स्वप्न दिखा रही काल्पनिक।

जीवन उद्देश्य से भटका रही करके दिग्भ्रमित।।

प्रेम पाश में बांध तुम्हें, मधुर प्रेम गीत गवाएगी‌।

विरान बगिया में सुन्दर, सुवास फूल खिलाएगी।।

निकलना होगा रहस्यमयी सपनों की दुनिया से।

स्वयं की आवाज सुन, घबराओ मत दुविधा से।।

विश्वास का डोर पड़कर, लक्ष्य पर्वत पर चढ़ना है।

धीरे-धीरे ही होगी तैयारी, नित दिन आगे बढ़ना है।।

पढ़ता चल ज्ञान ग्रंथ को, समय का थामकर हाथ।

ध्यान और एकाग्रचित से स्वयं मंथन कर हर बात।।

मन के घोड़े सजाकर, कर्मरथ में हो जाओ सवार।

अस्त्र-शस्त्र कलम और पुस्तक, कर वार-पे-वार।।

जीत मिलेगी भव्य जब समर्पण का दोगे बलिदान।

ज्ञान युद्ध के लिए छेड़ तू निरंतर विजय अभियान।।

- अशोक कुमार यादव, मुंगेली, छत्तीसगढ़