वाणी का वार - रोहित आनंद

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हाथों में है वाणी मेरी,

उतारूंगा पर्दा तेरा।

सुन तो ले सच्चाई मेरी,

भरे थे तो विश्वास न जानी,

सूखे अब नदिया तेरे।

अपने दिल को मत खुला,

कच्चे हैं तेरे इरादे।

देख, चकित रह जाएगा,

मित्र है धोखेबाज तेरे।

कांटों से पथ तू सजा,

ताजा है फूल मेरे।

रख तलवारें तू संभाले,

हाथों में है वाणी मेरी।

जो चाहेगा बुरा 'नवीन',

सितारे हो खराब तेरे।

- रोहित आनंद , बांका, डी. मेहरपुर, बिहार