उतरा दिल से, तो उतर ही गया - सुनील गुप्ता

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 ( 1 ) जो उतरा

दिल से तो....,

फिर, उतर ही गया  !

फिर वो,

चाहे बन जाए

फ़लक का चांद भी ....,

पर, हमें अब कुबूल नहीं !!

( 2 ) जो ठहरा

मन में हमारे....,

फिर, मीत बन गया  !

फिर वो,

चाहे हो अंजान

गगन का सितारा कोई ....,

पर, हमें है मंज़ूर वही !!

( 3 ) जो गहरा

रूह तक पहुँचे....,

फिर, आत्मसात हो जाए !

फिर वो,

चाहे अलग होना

तो बड़ा मुश्किल है ....,

ज़ुदा करना, उसे यहाँ हमसे  !!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान