तुम प्रेम हो - ज्योति अरुण

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*क्योंकि तुम मेरे प्रेम हो*

मोहब्बत, अकेली कहा है..

तुम हो न आस पास........

प्रेम का जज़्बात लिए

हंसते हुए मुस्कराते हुए हैं ना

अक्सर तुम ख्वाबों में आते हो

अपनी अदाओं से मात देने को

तुम्हें देखकर खुशी से

मेरी आंखें भर आती है

आस भरी नज़रों से तुम्हें देखती हूं

और आंखें बंद कर तुम्हें छुपाने

का असफल प्रयास करती हूं

फिर अहसास होता है #पगली

तु क्या कर रही है...

तुम तो मेरे पास रहते हो... रहते हो ना

इसलिए चिंता ना करो.….

तुम्हारे साथ हूं प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष

हां सही तो है.....

क्योंकि तुम मेरे प्रेम हो...

- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश