भग्न-हृदय की ज्वाला - मीनू कौशिक
Jun 15, 2023, 22:57 IST
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भग्न-हृदय की ज्वाला को , ऊर्जा में परिवर्तित कर दे ,
नव-सृजन में हो संलग्न,कल्पना भावों से सज्जित कर दे ।
मत देख जगत की निष्ठुरता,मन क्रंदन से भर जाएगा ,
जो सृजन बीज मन बीच दबा ,वह तड़प-तड़प मर जाएगा ।
जिसने जो भी कृत्य किया ,एक दिन हिसाब देना होगा ,
तू नई डगर का पथिक तुझे,पग संभल-संभल धरना होगा ।
शाश्वत सत्य यह सृष्टि का , मन से जो सृष्टि बनाएगा ,
होगी एक दिन साकार रूप,शत-प्रतिशत श्रम जो लगाएगा ।
ये कायनात तेरे सपनों की, खुद ही उत्तरदायी होगी ,
शुभ भाव से बढ़ता जा पथ पर ,कर जोड़ खडी़ मंजिल होगी।
- मीनू कौशिक 'तेजस्विनी', दिल्ली