सुनीलानंद - सुनील गुप्ता
Updated: Mar 2, 2025, 23:48 IST
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( 1 )" सु ", सुरीली
लरजती आवाज,
चले मन को भाए !!
( 2 )" नी ", नीले
गगन में,
उड़े ऊँचा चला जाए !!
( 3 )" ला ", लालित्य
हाव भाव,
सदैव प्रेम आनंद लुटाए !!
( 4 )" नं ", नंदीपति
विरल भोले,
अपने हाल में जीए !!
( 5 )" द ", दर्पण
बनके स्वयं,
चले स्वरूप अपना दर्शाए !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान