सब की जननी, जग की जननी - सुनील गुप्ता

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 ( 1 ) सब की जननी

   जग की जननी,

   माता बहना पुत्री पत्नी वही  !

   आओ करें मिलकर सम्मान इनका...,

   इनसे बढ़े, आत्मसम्मान हमारा ही  !!

( 2 ) नारी ही भगवती

  शक्ति भक्ति सरस्वती,

   सविता दुर्गा माँ अन्नपूर्णा वही !

   आओ तन मन लगा दें इनकी सेवा में..,

   श्रद्धा प्रेम समर्पण से मिले, हमें राह सही !!

( 3 ) नारी ही कल्याणी

  शक्ति स्वरूपा सृष्टि,

  है जीवन की धूरी वही  !

  आओ सच्चे मन से सेवा करें इनकी..,

  यही चले तारते, करते भला सबका यहीं !!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान