कहानी पिता की - सुनील गुप्ता
Dec 7, 2024, 23:48 IST
| ( 1 )" कहानी ",
पिता की
न पढ़ाएं हमें...,
हमने पढ़ी है, झुर्रियाँ पिता की !!
( 2 )" पिता ",
कभी कुछ
न कहे हमें...,
और कह दे सब कुछ, बिना कहे !!
( 3 )" की ",
किताब है
ये नायाब अनोखी...,
तमाम उम्र देखी, इसे समझी पढ़ी !!
( 4 )" हमें ",
पढ़ाओ न
रिश्तों की किताब...,
सदैव पढ़ी हैं, बाप की झुर्रियाँ !!
( 5 )" न ",
नगण्य मात्र
रहीं उनकी ज़रूरतें...,
सभी के लिए, वो रहे यहाँ पे जीते !!
( 6 )" पढ़ाएं "
न हमें
और कोई कहानी...,
हमने स्वयं जानी, पिता की ज़िंदगानी !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान