गीत - मधु शुक्ला
Feb 20, 2025, 23:57 IST
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कृपा मा शारदे करना।
तमस अज्ञान को हरना।
शरण में आ गई तेरी।
विनय माता सुनो मेरी।
हमारे शीश कर धरना....।
रहू मैं दूर कंचन से।
करू बस प्रीति लेखन से।
कलम में ओज मा भरना...... ।
मिले आशीष मा की जब।
बदलती भाग्य रेखा तब।
बहा दो प्रीति का झरना......।
- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश