गीत - मधु शुक्ला

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कृपा मा शारदे करना।

तमस अज्ञान को हरना।

शरण में आ गई तेरी।

विनय माता सुनो मेरी।

हमारे शीश कर धरना....।

रहू मैं दूर कंचन से।

करू बस प्रीति लेखन से।

कलम में ओज मा भरना...... ।

मिले आशीष मा की जब।

बदलती भाग्य रेखा तब।

बहा दो प्रीति का झरना......।

-  मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश