मौन - सुनील गुप्ता

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 ( 1 ) शांत दिमाग

प्रकृतिस्थ जीवन,

स्वयं में रमें !!

( 2 ) ओंकार ध्वनि

करते उच्चारित,

अंतस देखें !!

( 3 ) देखें शुद्धात्मा

बैठे परमात्मा का,

ध्यान करें  !!

( 4 ) ध्वनि तरंग

जो उठे अंतर्मन,

उसको सुनें !!

( 5 )  स्वयं हम ही

सच्चिदानंद रुप,

चलें खोजते !!

( 6 ) बाहर फैला

तमसावृत घेरा,

इससे बचें !!

( 7 ) सुनें मन की

अनहद ध्वनि को,

मौन साधते !!

( 8 ) पसरा मौन

अंतर्मन हमारे,

दृष्टा हो जाएं !!

( 9 ) कहीं न दूर

छोड़कर है जाना,

'स्व', यात्रा करें !!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान