श्री राम - मीनू कौशिक

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श्री राम पे क्या कोई गीत लिखे ,

शब्दों  में  कहाँ   समाते  हैं ।

कोई चरित्र नहीं दूजा उन सा 

हम  ढूँढ़  जमाना  पाते  हैं ।

धीर वीर दृढ़व्रती तपस्वी ,

मर्यादा   की  मूरत   हैं ।

गंभीर मुदित छवि मनमोहक ,

निश्छल आकर्षक सूरत है ।

युग  बीत  गए  महिमा  गाते ,

ज्ञानी  ध्यानी  भी   भरमाए ।

छल-कपट त्याग हो सरलमना ,

फिर सहज राम को पा जाए ।

-मीनू कौशिक (तेजस्विनी), दिल्ली