शीश नवाते - अनिरुद्ध कुमार

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हे माँ प्यासे, नैन हमारे,

दर्शन पाने को मतवारे।

भक्त खड़े है द्वार तिहारे,

दोनो अपना हाँथ पसारे।

अंतरयामी कष्ट हरें माँ,

कातर नैना हैं दुखियारे।

मंगलदीप जलाये ठारे,

नरनारी सब राह निहारें।

दूजा कोई नहीं सहारा,

कृपा करें माँ मंगल करदे।

तरस रहें जड़ चेतन सारे,

आश लगाये मातु पुकारे

अस्तुति गायें माता तेरे,

सर्वमंगला कष्ट निवारें।

कल्याणी हे माँ शैलपुत्री,

चरण कमल में शीश नवाते।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड