शरद पूर्णिमा - राजू उपाध्याय

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मैं थिरकूं तेरे संग -

शरद चांदनी

का अमृत पीकर,

मैं अपनी प्रीत

अमर कर लूं..!

आओ प्रिय !

मैं तुमसे मिल कर,

आँचल में

उजियारा भर लूँ..!

प्रेम लसित

इस महारास में

तेरे कर कमलों

को पकडूं,,

मैं थिरकूं

तेरे संग नर्तन में

निधि वन सा

जीवन वर लूं..!

- राजू उपाध्याय , एटा , उत्तर प्रदेश