अंगुली थाम मेरे सपनो की  - राजू उपाध्याय

 | 
pic

जब जब उपवन से झरते, तुमने हरसिंगार दिए है।

हंसते खिलते सुमन सभी,,मैने तुमपे वार दिए हैं।

अंतर्मन की भाषा है,जीवन की तू मधुरिम आशा,

अंगुली थाम मेरे सपनो की,तूने द्वंद संवार दिए हैं।

मन-मानुष समझा,, तेरे मन मोहक स्पंदन को,

तेरी प्रेम छुवन ने मेरे,सौ-सौ जन्म निखार दिए हैं।

माना हमने विषपाई तू,पर अंतस घट में अमृत है,

दो बूंद का सागर देकर,तुमने करम सुधार दिए हैं।

मैं त्रुटियों की अनुकृति हूं,पावन मूरत कैसे गढ़ लूं,

थोड़ी 'मेहर'आस संजोई,,तेरे चरण पखार दिए है।

- राजू  उपाध्याय, एटा , उत्तर प्रदेश