राधे-राधे - रश्मि मृदुलिका

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राधे- राधे मधूर स्वर खग बोले,

वृन्दावन कुंज में कान्हा संग हँसे,

प्रेम पाती भ्रमर गुन- गुन सुनाये,

प्रेम की आभा से मुख दमके,

यमुना तट प्रतीक्षा दीप जलाये,

अब भी प्रतीक्षारत है राधे,

कुरूक्षेत्र की धरा पर स्मरण है राधे,

द्वारिकाधीश- हृदय विराजित है राधे,

कृष्ण में ही समाहित राधे,

पाथर मूर्ति रूप पूजित राधे-राधे

संसार पुकारे राधे - राधे,

वृन्दावन की राह बिखरी हुई,,

विरह राख वहीं- कहीं धुमिल हुई,

हवाओं में गुजिंत मिलन-गीत राधे,

बांसुरी स्वर में गुंजित प्रेम गीत राधे,

त्याग, समर्पण रीत बनी राधे,

गीता के आखर में बोले राधे,

ब्रज भूमि संग पथ निहारे राधे,

प्रेम संग कर फेरा, बनी परिणीता राधे,

रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड