खेलें मिलकर खेल (बाल कविता) - डॉ. सत्यवान सौरभ
Oct 24, 2024, 23:50 IST
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आओ बच्चों हम सभी,
खेलें मिलकर खेल।
मिलती किसको क्या सजा,
किसको मिलती जेल।।
खेल-खेल में आज यूं,
पुलिस बनूं मैं आज।
बुरा न मानो बात का,
चोर बनो तुम राज।।
भागा जल्दी राज सुन,
सीटी की आवाज।
पर राजू के हाथ तब,
लग गए जल्दी राज।।
हथकड़ियाँ अब राज के,
दी हाथों में डाल।
सीना फूला गर्व से,
चला लिए संभाल।।
आयी मम्मी पर तभी,
कड़े सौरभ माथ।
एक हाथ तो माथ था,
दूजे हंटर हाथ।।
सुनकर सहमे हम तभी,
मम्मी की आवाज।
भागे दोनों जोर से,
सौरभ राजू राज।।
बोली मम्मी तब मगर,
कुछ तो कर लो याद।
खेलो चाहे तुम सभी,
फिर तुम उसके बाद।।
दोनों मिलकर अब तभी,
लिखते रहते लेख।
हँसते रहते हैं सदा,
दादू यह सब देख।।
-डॉ. सत्यवान सौरभ, उब्बा भवन,
आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045