निशाना-ए-इश्क - श्याम कुंवर भारती
Jul 6, 2023, 23:15 IST
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कोशिशें कामयाब होती है अक्सर मैने आजमा करके देखा है,
जो होना होगा हासिल हो जायेगा मैंने दीवाना बन करके देखा है।
मैंने तुझको अपना माना मगर बेगाना बना डाला तूने मुझे,
तुझे चाहा मगर मेरा हो न सका मैने अपना बना करके देखा है।
तुझे भूलना जो चाहा भुला भी न पाया और याद आया मुझे,
झूठ भी पकड़ा गया मेरा मैंने बहाना बना कर के दिखा है।
दिल लगाके तोड़ देना तेरी फितरत है या आजमा रहा है मुझे।
तेरे शौकिया इश्क ने किया बरबाद मैने फसाना बना करके देखा है।
मेरा दर्द-ए-दिल तुझे बैचेन कर के छोड़ेगा देख लेना एक दिन,
कहोगे पागल आशिक मरता नहीं मैंने निशाना लगा कर के देखा है।
- श्याम कुंवर भारती, बोकारो, झारखंड