नमन गंगे - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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मातु गंगे हम हृदय से पूजते हैं आप को,

आपका दर्शन हमेशा दूर करता पाप को।

एक डुबकी भी लगा लें पुण्य के भागी बनें,

साफ रख दूर कर दें गंग के हर ताप को।।

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शरद पूर्णिमा पावनी, धवल चंद्र का राज,

बरसेगा नभ से अमिय, पान करें सब आज।

रात रुपहली जग रही, यौवन पर राकेश,

चित्त प्रफुल्लित कर रहा, मनभावन परिवेश।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश