मिज़ाहिया ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर
Jan 4, 2025, 23:09 IST
| चार बीवियां सोलह बच्चे हद कर दी ।
तन पर नहीं लंगोटी कच्छे हद कर दी ।
भारी पैर बताती है चौथी बीबी ,
झूम रहे सुन ताऊ चच्चे हद कर दी ।
दून सिटी स्मार्ट हो रहा सालों से ,
रोज नए बनते हैं खच्चे हद कर दी ।
वोटों के फल पके हुए हैं वादों से ,
मान रहे क्यों उनको कच्चे हद कर दी ।
शोर चुनावों का है अपनी दिल्ली में ,
नियमों के उड़ते परखच्चे हद कर दी ।
बच्चों की सौगंध उठाते नेता जी ,
झूठ बोलकर बनते सच्चे हद कर दी ।
चोर उचक्के लुट रहे हैं खातों को ,
घर बैठे खा जाते गच्चे हद कर दी ।
लूट लिया सम्मेलन एक हसीना ने ,
गीतों में लफ़्ज़ों के लच्छे हद कर दी ।
साल पुराना बीत गया है मस्ती में ,
पीकर विश्की 'हलधर' नच्चे हद कर दी ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून