मेजर (अब लेफ्टिनेंट कर्नल) पुष्पेंद्र सिंह,“कीर्ति चक्र”- हरी राम यादव

Vivratidarpan.com मणिपुर - मणिपुर हमारे देश का एक सीमावर्ती राज्य है। इसकी सीमाएं उत्तर में नागालैंड और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में म्यांमार से मिलती है। सीमावर्ती राज्य होने के कारण यह कभी बाहरी और ज्यादातर समय अंदरूनी जातीय वर्ग संघर्ष के कारण उपजे हालातों के केंद्र में रहा है। जमीनी बनावट पहाड़ी और जंगली होने के कारण यह क्षेत्र सेना और सुरक्षाबलों के लिए काफी मुश्किलों भरा है लेकिन समय समय पर सेना द्वारा चलाये गए आतंकवादी विरोधी अभियानों ने अलगाववादी समूहों की कमर तोड़ कर रख दी है ।
06 मार्च 2009 को सेना को इम्फाल के एक क्षेत्र में एक आंतकवादी समूह के शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति के बारे में सूचना मिली। सेना ने मणिपुर पुलिस के कमांडो के साथ मिलकर एक संयुक्त अभियान शुरू करने का निर्णय लिया । जिस जगह पर आतंकवादियों के होने की सूचना मिली थे यह क्षेत्र 28 असम राइफल्स के अधीन था । 28 असम राइफल्स ने इस अभियान की कमान मेजर पुष्पेन्द्र सिंह को सौंप दी । 07 मार्च 2009 को लगभग 01:30 बजे मेजर पुष्पेन्द्र सिंह के दल के सदस्यों ने संदिग्ध स्थल को घेर लिया । सेना द्वारा घेरे जाने की भनक जब आतंकवादियों को लगी तब उन्होंने अभियान दल पर भयंकर गोलीबारी करना शुरू कर दिया , जिससे दल का आगे बढ़ना रुक गया। मेजर पुष्पेन्द्र सिंह ने स्थिति का विश्लेषण किया और भागने के सभी संभावित रास्तों को बंद कर दिया। उन्होंने दो आतंकवादियों को अंधाधुंध फायरिंग करते हुए देखा। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना वह लक्ष्य की ओर बढ़ने लगे और नजदीक पहुंचकर उन्होंने आतंकवादियों पर गोलियों की बौछार कर दी। एकाएक अपने ऊपर हुए हमले से आतंकवादी संभल न पाए और मौके पर ही दोनों ढेर हो गए।
मेजर पुष्पेन्द्र सिंह रेंगते हुए आगे बढ़े। उन्होंने देखा कि एक छुपाव स्थल से दो आतंकवादी सेना के जवानों के ऊपर जबरदस्त फायरिंग कर रहे हैं। उन्होंने ग्रेनेड निकाला और धीरे से छुपाव स्थल के अंदर फेंक दिया। तभी अचानक एक आतंकवादी बाहर आया और चारों तरफ अंधाधुंध फायरिंग करने लगा। छुपाव स्थल से बाहर आते ही मेजर पुष्पेन्द्र सिंह ने उसे निशाने पर ले लिया और उसे वहीं मार गिराया। बहादुर अधिकारी ने पुनः रेंगते हुए आगे बढ़ना शुरू किया और लगभग 30 मीटर आगे जाकर छुपाय स्थल में ग्रेनेड फेंक दिया और फिर छुपाव स्थल में घुस गये। अंदर छिपे आतंकवादी ने उनके ऊपर गोली चला दी। उन्होंने उसे वीरतापूर्वक मार गिराया। इस प्रकार आतंकवादी समूह के चार आतंकवादियों को उन्होंने अकेले ही मौत के घाट उतर दिया, इन मारे गए आतंकवादियों में एक आतंकवादी गुट का चेयरमैन और डिप्टी चीफ भी शामिल थे।
मेजर पुष्पेंद्र सिंह ने आतंकवादियों से लड़ते हुए कुशल नेतृत्व, आक्रामक उत्साह, साहस और अद्वितीय बहादुरी का परिचय दिया । उनके इस साहस और आक्रामक उत्साह के लिए 06 मार्च 2009 को उन्हें शांति काल के दूसरे सबसे बड़े सम्मान “कीर्ति चक्र” से सम्मानित किया गया।
मेजर पुष्पेन्द्र सिंह का जन्म 04 फरवरी 1980 को जनपद आजमगढ़ के जमुहट के एक सैनिक परिवार में श्रीमती सूर्य कुमारी सिंह और सूबेदार राजमणि सिंह के यहां हुआ था। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला, जमुहट और जूनियर हाईस्कूल से लेकर इण्टर तक की शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, डगसाई, जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश से पूरी की। सैनिक पृष्ठभूमि का होने के कारण बचपन से ही इनकी रूचि सेना में जाने की थी । इन्होंने 07 सितम्बर 2002 को भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स में कमीशन लिया और 20 राजपूताना राइफल्स में पदस्थ हुए, बाद में इनकी अस्थायी तैनाती 28 असम राइफल्स में हुई।
मेजर पुष्पेन्द्र सिंह के परिवार में इनके माता पिता , इनकी पत्नी श्रीमती अंजुल सिंह और दो बच्चे हैं । वर्ष 2018 में यह पदोन्नत होकर लेफ्टिनेंट कर्नल बने और वर्तमान समय में राष्ट्रीय कैडेट कोर की एक यूनिट में कमांडिंग अफसर के पद पर रहकर देश की भावी पीढ़ी को अनुशासन और राष्ट्र धर्म का पाठ पढ़ाकर , राष्ट्रनिर्माण के कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। सैनिक जीवन के अलावा यह अपने क्षेत्र की युवा पीढ़ी को देश सेवा के लिए प्रेरित करने का सराहनीय प्रयास कर रहे हैं।
- हरी राम यादव, सूबेदार मेजर (आनरेरी), अयोध्या, उत्तर प्रदेश ph - 708781507