गीत - जसवीर सिंह हलधर
Feb 13, 2025, 23:38 IST
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मुक्त कविता के समय में !
लिख रहा हूँ गीत लय में !!
देख कर ये हठ अनौखी ,
हँस रहे कुछ बुद्धि जीवी !
कह रहे मुझको अनाड़ी ,
लोक गायन का करीबी !
वो हमारे खास चिंतक ,
क्या कहें उनके विषय में !
मुक्त कविता के समय में !!1
कौन देता सरल वाणी ,
नित्य नित होती व्यथा को !
मुक्त कविता कर न पाती,
तरल नारायण कथा को !
हो न पाता भेद कायम ,
वासना में या प्रणय में !
मुक्त कविता के समय में !!2
ईश के हम अंश होकर ,
ध्वंश पथ पर खो गए हैं !
सोम के रस पान वाले ,
छंद गायब हो गए हैं !
मुक्त तारे भी नहीं हैं ,
व्योम गंगा के निलय में !
मुक्त कविता के समय में !!3
गुम हुआ साहित्य से अब ,
ज्ञान पिंगल देवता का !
कौन जाने किस कसौटी ,
हो चयन कविता कता का !
ध्यान में भी नाद उगते ,
नाथ हैं "हलधर "हृदय में !
मुक्त कविता के समय में !!4
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून