गीत - जसवीर सिंह हलधर

चरना भी आसान नहीं जबड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
हरी घास के लालच में बछड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
कैसे भार सत्य का तोलें कैसे जानें सच्चाई ।
सदा मनुज से चलती है कर्मों की परछाई ।
बाट झूठ के रखने पर पलड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं --------- 1
बोझ उठाना मजबूरी है इसको शौक नहीं मानो ।
जीवन को संग्राम मानकर सही लक्ष्य को पहचानो ।
मार वक्त की पड़ने पर तगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं ----------- 2
सब के साथ बैठना लेकिन युद्ध समय में ध्यान रखो ।
कौन कहां साथ निभाए इसका भी संज्ञान रखो ।
दुर्बल सेना के नायक अगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं ----------- 3
गांव,नगर में ऊंच नीच के किस्से बहुत सुने होंगे ।
दलितों ने भी राम राज्य के सपने बहुत बुने होंगे ।
हक की बात उठाने पर पिछड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं -------- 4
नाज़ुक सड़कें हैं दिल्ली की वाहन बड़े नहीं लाना ।
देख कनाडा की टोली को पहचानो ताना बाना।
ट्रेक्टर के पहियों से ये दगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं ---------- 5
पौधे गुलशन के हिलते हैं जब आंधी तूफानों में ।
अंग प्रदर्शन आम हो गया आधुनिक परिधानों में ।
कांटों से भिड़ कलियों के मुखड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं ----------- 6
सत्य अहिंसा परम धर्म है ऋषियों , मुनियों ने माना ।
लेकिन मनुज लोभ लालच में रहा सत्य से अनजाना।
शांति दूत के सम्मुख सब झगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं -----------7
सुख दुख जीवन के दो पहलू इनसे फिर डरना कैसा ।
कर्म हमेशा साथ रहेंगे साथ रहेंगे साथ न जाएगा पैसा ।
अच्छे कर्मों से "हलधर" दुखड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।
चरना भी आसान नहीं जबड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।।8
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून