रहने दो - राजीव डोगरा

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कुछ ख्वाब कुछ यादें

मुझ में रहने दो

न मिल सको तो न मिलो

खुद को मुझ में ही रहने दो।

बीता हुआ वक्त और

बीती हुई बातें

कभी लौट कर नहीं आती,

मगर फिर भी

उन यादों को

मुझ में सिमटे रहने दो।

जो भूल चुका है

उसे भूलाने दो

फिर भी तुम

अतीत में बिखरी हुई

भूली हुई यादों को

मुझ ही में रहने दो।

- राजीव डोगरा

पता-गांव जनयानकड़

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