बस एक मज़ाक - प्रदीप सहारे

 | 
pic

अमीरों के होटल में

गरीबों के चित्र,

कोने-कोने में,

दीवार पर लगाए

देखे मैंने।

पता नहीं!

कौन किसे

क्या कहना

चाहता है?

मुझे बनाने में

तेरा हाथ,

या!

तुझे बनाने में मेरा हाथ!

प्रश्न अनुत्तरित है।

लेकिन चित्रों में चेहरे

लुभावने हैं।

चित्र में दिखती है,

कवेलू की टूटी झोपड़ी,

कुछ सड़े हुए बांस,

उखड़े हुए कवेलू संग।

होटल के रिसेप्शन पर।

स्वागत हैं ,

एक अमीर का,

गरीबी के चित्र से ।

तहे-दिल से।

बस यह

एक मज़ाक।

वास्तविक न हो।

प्रदीप सहारे, नागपुर, महारष्ट्र

मोबाईल - 7016700769