जोगिरा सारा रा...रा...रा... - डॉ अणिमा श्रीवास्तव

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बहे लागल देख s फगुनहट बयार,

गांव जवार घोटे लगले भंग के धार।

जोगीरा सारा रा रा......

पानी में घोर घोर रंग और प्यार,

खेले  लगले सब सतरंगी बौछार।

जोगिरा सारा रा रा......

पुआ पुरी चले कहीं बड़े पर मार,

कढ़ी बड़ी, बचका बनल बेशुमार।

जोगिरा सारा रा रा......

कुर्ता पाजामा कहीं सूट सलवार,

नया फ़ैशन में रंगइले नर नार।

जोगिरा सारा रा रा.…...

अंखिया में नींद कहवा, कहवा करार,

अबीर गुलाल,मेवा संगे रस के बहार।

जोगिरा सारा रा रा.......

रूप साजे चाहे कोई केतनो हजार,

सबका से नीक लागे भौजी हमार।

जोगिरा सारा रा रा.......

एही रंग ढंग में तनी करी विचार,

कौन हाल में होहियें सीमा पर फौजी हमार ।

जोगिरा सारा रा रा......

तजी देहले हमनी खातिर जे ई संसार,

उनका से जुडल बाटे कई परिवार।

जोगिरा सारा रा रा......

देखीं तनी ओन्हूं जहां बाटे अंधियार,

चलीं सभे मिलके करी ऊहां उजियार।

जोगिरा सारा रा रा......

प्रेम भाईचारा के जब बरसी फुहार,

जगमग करी तभे ,सब घर दुआर।

जोगिरा सारा रा रा.......

रोवत के हंसाई, मधुर सुर ग।ई धमार,

तबे नीक लागी "अणिमा" तीज त्यौहार।

जोगिरा सारा रा रा.......

- ©️ डॉ अणिमा श्रीवास्तव, पटना,( बिहार)