होली - सविता सिंह

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राधा राधा भोर शाम 

बरसाने आए श्याम

चोरी चोरी चुप चुप

राधा को बुलाए हैं।

सखियों से बच कर

आई राधा छिप कर

भर पिचकारी रंग

राधा को लगाए हैं।

भीगे  सारे अंग अंग

ऐसे कान्हा रंगे  रंग

बोल कान्हा जाए कैसे

सखियाँ बुलाए हैं।

श्याम बोले  राधा रानी

करो  नहीं मन मानी

नीज धाम छोड़ छाड़

तेरे लिए आए हैं।

राधिका लजाई गई

नैनन झुकाई लई

अधर पे  बंशी धर

श्याम मुस्काए  है।

 लाल से  गुलाबी गाल

पूछो नहीं कैसा हाल 

राधिका को संग  लिए

रास वो  रचाए  हैं।

राधा बोली छोड़ो मोहे

लाज नहीं आए तोहे 

देख के गुलाबी गाल

गोपियाँ  सताए हैं।

कान्हा बोले सुन भोली

संग तेरे खेले होली

तब ही तो  गाल पर

गुलाल लगाएं हैं।

- सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर