हो जय हिन्द का शंखनाद - हरी राम यादव

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जय हो जय हो संविधान की,

     जय हो विश्व के बड़े विधान की।

जिसने सबको अधिकार दिया,

      जय हो उस विधि विज्ञान की ।

 निश्चित जिसमें सबकी सीमाएं,

      जिसमें समता का भाव लिखा।

लिखी स्वतंत्रता की परिभाषा,

      शोषण के विरूद्ध अधिकार लिखा।

धर्म मानने की लिखी आजादी,

      संवैधानिक उपचार  लिखा।

शोषण करे न किसी का कोई,

   यह बात लिखित व्यवहार लिखा।

पढ़ें लिखे सब, सब बढ़े आगे,

      माने सब अपनी अपनी संस्कृति।

अमूल्य लिखे वाक्य है इसमें,

       अमूल हमारे देश की यह कृति।

कैसे चलेगी देश की व्यवस्था,

      कौन व्यवस्था चलाएगा ।

जो न माने बात किसी की,

      कौन उसे बात मनवाएगा।

सब बातों का वर्णन इसमें,

    सब हालात की बात लिखी।

कठोर लचीला दोनों है यह,

    यह खूबी इसमें गजब दिखी।

पचहत्तर वर्षों की कर यात्रा,

    संविधान हमारा धन्य हुआ।

गणतंत्र को लेकर चला आगे,

    सबकी इसके संग है दुआ ।

हमको अपने अधिकारों संग,

   अपने कर्तव्य सदा रहें याद।

प्रेम, बंधुत्व की रखें भावना,

      बोलें मानवता का जिंदाबाद।

लहराए तिरंगा नील गगन में,

    हो जय हिन्द का शंखनाद।

जवान किसान सभी सुखी हों,

     किसी के मन में न हो विषाद ।।

 - हरी राम यादव , सूबेदार मेजर,

   अयोध्या , उत्तर प्रदेश