पावन मनभावन साल नया - अनिरुद्ध कुमार
नव संगीत सुहाना लेके,
नैनों में नजराना लेके,
चाहत भरा खजाना लेके,
मनहर ताना-बाना लेके,
पुलकित परिलक्षित है दुनिया।
पावन मनभावन साल नया।।
झंकृत जीवन का पोर पोर,
गीतों की सरिता है विभोर,
आनंदित सुंदर नवल भोर,
अरुणिम लाली कितनी सलोर,
कोयल कुहके ले हरमुनिया।
पावन मनभावन साल नया।।
स्वागत में ठारी वसुंधरा,
लेकर फूलों से थाल भरा।
जड़ चेतन ने नव रूप धरा,
क्या रंग सजाये लाल हरा,
अँचरा फहराये दुलहनिया।
पावन मनभावन साल नया।।
विहसित चंचलता खेल करे,
उत्साहित नव तन पेंग भरे,
शीतलता रह-रह रास करे,
सुरभित फूलों से गंध झरे,
मन मुग्ध निहारे ललमुनिया।
पावन मनभावन साल नया।।
तन-मन मचले नव आस जगे,
पग-पग तन-मन हुल्लास जगे,
हुलसित जीवन कुछ खास लगे,
यह साल नया मधुमास लगे,
सुरताल मिलावें पैजनियाँ।
पावन मनभावन साल नया।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड।