नया साल मुबारक हो - अशोक कुमार यादव

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जो पहले था नया साल, अब अतीत बन गया।

आने वाला नया साल, विश्वासी मीत बन गया।।

केक काटो, पटाखे फोड़ो, मनाओं सभी जश्न।

परिवर्तन कर पाओगे परिस्थिति, यही मेरा प्रश्न?

दुःख, सुख में बदलेगा, मन को मिलेगी शांति।

खुशी ढूँढ रही है दुनिया, यह सबकी है भ्रांति।।

असफलताओं के कैदखाने में कैद हैं आदमी।

निराशा के जाल में फँसे वेशभूषा बदले छद्मी।।

अच्छाई का मुखौटा पहने रह रहे सभ्य समाज में।

अति प्राचीन रीति-रिवाजों के रूढ़िवादी राज में।।

तुम तो पहले जैसे थे, तुम आज भी वैसे ही हो।

बदल ना पाए स्वभाव, शब्द जहर उगलते हो।।

धर्म और जाति बंधन से परे मानवता हो मूल मंत्र।

भाईचारे से गले मिलो, समानता जन-जन में तंत्र।।

कर्म क्रांति की मशाल से नवजीवन सुधारक हो।

शानदार सफलता मिले, नया साल मुबारक हो।।

- अशोक कुमार यादव, मुंगेली, छत्तीसगढ़