गजल - ऋतु गुलाटी
Jun 10, 2023, 23:13 IST
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पास होकर दूर कितने,अब वफा कर देखना,
या खुदा मेरे अजी खुद को भुला कर देखना।
दर्द आँखो मे बसा है दूर रह पाये नही,
रात दिन सोचे यही तू आजमा कर देखना।
जब हुआ दीदार तेरा खुश बड़े हम हो गये,
अश्क का आँखों मे बहना अब छुपा कर देखना।
चाँदनी का रूबरू अब चाँद को भी भा गया,
प्यार की नजरों से हमको अब सजा कर देखना।
ख्याब देखूँ रात दिन मैं अब बचूँ कैसे पिया,
ख्याब आँखो ने बुने उनको चुरा कर देखना।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब