ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Mar 10, 2025, 23:09 IST
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भूल गम को तू जी होसले के लिये,
है खुशी ये सभी बाँटने के लिये।
चाँदनी चुनरी ओढे सितारों भरी,
चाँद निकला किसे देखने के लिये।
जो थे नाकाम पढ़ने में उनकी ही बस,
कापियां हम को दीं जांचने के लिए।
दर्द तूने हमे यार क्यो सोंपे थे,
ख्याब देखे तुम्हे ही पाने के लिये।
जिंदगी प्यार के गीत गाने लगी,
ढूँढती हमसफर रास्ते के लिये।
गर करोगे जो मेहनत भी दिल से बड़ी,
हाथ मेरे खड़े थामने के लिये।
साथ देता नहीं है किसी का कोई,
कोई मरता नहीं है किसी के लिए।
नाम तेरा लबो पे सजाते रहे,
दर्द सहकर हँसे नाचने के लिये।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़