ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Mar 1, 2025, 22:59 IST
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वफा उनसे सदा की है,शिकायत भी नही करता,
मगर माँनू भला कैसे,मुहब्बत भी नही करता।
तुम्हारे बिन कटे कैसे तेरे इस इश्क की रातें,
लगे ऐसा मेरे दिल पर हुकूमत भी नही करता।
बना के बुत मेरा कहने लगा तू खूबसूरत है,
रहूँ कैसे बिना तेरे हिमायत भी नही करता।
नहीं मिलती उन्हें इज्ज़त दु:खी रहते हैं बेचारे,
बुजुर्गों की जहां देखो कोई खिदमत नही करता।
हकीकत मे करे पूजा,करे वो दिल्लगी मुझसे,
बड़ा मासूम है दिलबर, शिकायत भी नही करता।
- रीता गुलाटी. ऋतंभरा, चंडीगढ़