ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 25, 2025, 23:33 IST
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मार डालेगी हमें तेरी उदासी एक दिन,
मैं तुम्हारी हूँ सदा मिलकर रहूँगी एक दिन।
बस वो आया जिंदगी मे,खुश-क्यासी एक दिन,
खूश्बूओं का था वो पैकर शाम महकी एक दिन।
दूसरो का दर्द अब समझा नही,कोई यहाँ,
आँख मे आँसू भरे जो जान लेगी एक दिन।
गलतफहमी हो गयी है बेवजह तुम जान लो,
रात काली,छा रही है,वो ढलेगी एक दिन।
जी रही बच्चों की खातिर रात दिन मेहनत करी,
बिन तुम्हारे अब कमी हमको खलेगी एक दिन।
कब तलक रूठे रहोगे,यार बोलोगे नही,
जान लो ये बेकसी भी जान लेगी एक दिन।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़