ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 21, 2025, 22:37 IST
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प्यार मे मैं इठलाती रही रात भर,
याद हमको सताती रही रात भर।
तीर नजरो के चलाती रही रात भर,
जिंदगी गुनगुनाती रही रात भर।
दूँढती रात से चाँदनी चाँद को,
राज दिल के बताती रही रात भर।
क्यो न समझा मेरे जज्बात को,
मैं तो किस्सा सुनाती रही रात भर।
दर्द भीतर रहा मुस्कुराते रहे,
चाँदनी अब जलाती रही रात भर।
जुस्तजू यार तैरी बड़ी आज तो,
आपकी याद आती रही रात भर।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़