ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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घर सजायेगे मुहब्बत से सदा,

फिर भरा होगा तो बरकत से सदा।

जिंदगी खुशियों से नजारत हो सदा,

आपकी खुशियां सलामत हो सदा।

अर्ज -ए उल्फत आज सुन लो यार तुम,

यार हम पर अब इनायत हो सदा।

प्यार तेरा हर कदम मिलता रहे,

जिंदगी मे यार उल्फत हो सदा।

हम कभी दोनो मे तकरार नही,

अब न होना बस मसाफत हो सदा।

प्रेम का आँगन सदा महके बड़ा,

दूर घर से अब अजीयत हो सदा।

प्यार बाँटे भूलकर शिकवे सभी,

दूर दिल से आज नफरत हो सदा।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़