ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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घर सजा तेरा भी फूलों का रहे,

रात दिन बस राज खुशियों का रहे।

यार देते आज तुमको हम दुआ,

आपका ये साथ जन्मो का रहे।

जिंदगी खुशियों से तेरी हो सदा,

साथ मीठे यार रिश्तों का रहे।

प्रेम का आँगन सदा महके बड़ा,

घर भी जैसे आज,सपनो का रहे।

घर तुम्हारा फरिश्तों सा अब सजा,

प्यार बुनता आज धागों का रहे।

पाँव  मेरे भी  धरा  से है जुड़े,

ख्याब  पूरे ये  इरादो का रहे।

प्यार पाया साथ तेरा माँगती,

साथ तेरा अब निगाहों  का रहे।

नाम हो कितना भी हो कोई हसीं,

जिक्र बस तेरी ही जुल्फों का रहे

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़