ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 9, 2025, 22:21 IST
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विदा हो आज बेटी अब चली है,
सदा वो खुश रहे मेरी परी है।
तुम्हारे बिन कहाँ मिलता सुकूँ बस,
गमों से रात दिन अब दोस्ती है।
बुरी नीयत है डाले अधखिली पर,
बड़ी बेबस कली अब हो गयी है।
मिले हो जान जन्नत सी लगे बस,
मुहब्बत जब से हमको हो गयी है।
मरे हैं जब सड़क पर सब निहारें,
यहां इंसानियत अब खो गयी है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़