ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 | 
pic

है मन मेरा हिंदुस्तानी बहुत है।
हुआ दिल आज नूरानी बहुत है।

भरा सैलाब से दरिया दिखा है,
सँभल कर पाओ रख पानी बहुत है।

मुहब्बत का खजाना पास मेरे,
तभी ये दिल रूहानी बहुत है।

शजर जैसी मैं झुकती जा रही हूँ,
मगर  दिल से ये दानी बहुत है।

करो ना काम ऐसा जग मे यारो,
शहर मे बस परेशानी बहुत है।

नही कर आज नफरत अब जहाँ मे,
तुम्हारी राह अनजानी बहुत है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़