ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jan 30, 2025, 23:17 IST
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गाथा लिख ले वीरो की कुर्बानी को,
सरहद पर बैठे सारे बलिदानी को।
ढूँढूँ सच मे खोयी उस अंजानी को,
हैरां हूँ जब से देखा मस्तानी को।
कैसे भूले झाँसी वाली रानी को,
नमन है हर भारत मे बलिदानी को।
गणतंत्र मनाए सब,शुभ दिन आया है,
देते आज बधाई हिंदुस्तानी को।
सैलाबो से दरिया भरता देखा है,
डर लगता, देखा जब बहते पानी को।
सपने देखूँ बाँहो मे तुम हो मेरे,
याद करता जब मैं अपनी जवानी को।
खुशबू फूलों की महकी अब कलियां हैं,
आमों पर देखूँ आती बोरानी को।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़