ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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गम से दिल रोने लगा जब तुम जुदाई देते,

बंदिशें रोने लगी, मुझको रिहाई देते।

आज जाना लब से तेरी खिल रही कितनी हँसी,

यार हँसकर शायरी की तुम रूबाई देते।

आज मस्ती हम करेगे, यार जब हँसकर मिले,

हो खुशी बस यार फिर गम से रिहाई देते।

जिंदगी हो अब मुक्कमल, साथ तेरा जब मिले,

चैन भी मिलता हमे गर  ना जुदाई देते।

प्यार तुमसे हम करे है लाजिमी, चिन्ता भी है,

कामयाबी पर मेरे तुम चूकते ना,बस बधाई देते।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़