ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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बढा लो कदम तुम,नही अब दगा दो,

किया प्यार तुमसे,तुम्ही अब वफा दो।

अभी लौ दबी सी है, इश्के-मुहब्बत,

बुझी,इससे पहले जरा सी हवा दो।

छुपा लूँ मैं तुमको कि बाँहो मे अपने,

बना लूँ तुझे अपना दिल से दुआ दो।

हसीं आँख, पलके लगे नौंक खंजर,

बना जिस्म शीशे का,हम को दिखा दो।

नही माँगती कुछ भी दुनिया से अब तो,

मिले साथ तेरा,हमें बस सिला दो।

तेरे  रंग  रंगा  हूँ, जाने-तमन्ना,

तुझे  ढूँढता हूँ  दिवाना बना दो।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़