ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Sep 20, 2024, 23:53 IST
| अगर है साथ तेरा बददुआ नही लगती,.
बिना तेरे दुनिया भी अच्छी नही लगती।
नही मिला हैं सुकूँ जग मे आज जीने को,
कहे शजर मिले नेकी भली नही लगती।
ये सोचते हैं सुखनवर लिखेगे दिल से हम,
कि शायरी भी हमे शायरी नही लगती।
करे हैं बात भी वो आज दिल जलाने की,
तभी तो होठो पे उनके हँसी नही लगती।
सिखा रहे हो हमे आज शायरी को तुम.
कमाल बेशक हो मौसकी नही लगती।
किसी दुआ से हमे दर्द अब कहाँ रहता.
बिताते दिन खुशियो से कमी नही लगती।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़