गजल - मधु शुक्ला

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उन्हें मौन रहना सिखाया गया है,

पराये घरों में बसाया गया है।

न अवगुण बताओ उन्हें आप उनके,

उन्हें पाठ बस ये पढ़ाया गया है।

रहमो-करम है खजाना तुम्हारा ,

यही साथ उनके भिजाया गया है।

बराबर बताकर न अधिकार देना,

अजब सिलसिला 'मधु' चलाया गया है।

नहीं खर्च कोई परिश्रम भयंकर,

तभी देवि तमगा लुटाया गया है।

--- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश