गजल - मधु शुक्ला
Mar 31, 2023, 22:06 IST
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रीति यही है जग की दर्द छुपाना पड़ता है,
कैसा भी हो हाल भला बतलाना पड़ता है।
स्वच्छ महकता जीवन पथ उपलब्ध नहीं होता,
श्रम सीकर से राहों को महकाना पड़ता है।
बेहद नाजुक होती है संबंधों की डोरी,
मन को त्याग क्षमा का पाठ पढ़ाना पड़ता है।
छंद सृजन का गुण यदि वाणी ने सौंपा कवि को,
नीति कहे यह सच का पुष्प खिलाना पड़ता है।
जीवन दर्शन पुस्तक द्वारा ज्ञात नहीं होता,
'मधु' अनुभव के सागर में उतराना पड़ता है।
--- मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश