ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Feb 28, 2025, 23:27 IST
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पहाड़ी चीरकर जिसने नदी झरने निकाले हैं ।
उसी ने अश्व भेजे हैं उसी के हम रिसाले हैं ।
उसी के पास है सब कुछ हमारे पास में क्या है ,
उसी के पास चाबी है उसी के पास ताले हैं ।
चुनौती दे है आदमी उसकी करामत को ,
बनाए सेतु सागर पर किए करतब निराले हैं ।
वहीं राजा बनाता है वहीं वैराग्य देता है ,
बिना उसकी इजाज़त के नहीं मिलते निवाले हैं ।
फरिश्ता बन गया इंसान जब उसने शिफा बख़्शी,
उसी ने राजगद्दी से बहुत से नृप उछाले हैं ।
वही पालक है दुनिया का वही चालक है दुनिया का ,
समंदर चांद सूरज व्योम सब उसके हवाले हैं ।
मगर इंसान की फ़ितरत भी उससे कम नहीं 'हलधर',
धरा, आकाश, सागर, राज़ जिसने खोज डाले हैं ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून