गणपति उत्सव - मधु शुक्ला

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गणपति उत्सव की तैयारी, करने में सब भक्त मगन हैं,

उत्तमतम स्वागत करने की, मन पंछी को लगी लगन है।

रोली, माला, अक्षत, दीपक, धूप भोग से थाल सजाया,

चंदन चौकी लाल बिछौना, उसके नीचे चौका पुराया।

अभिलाषा भक्तों की इतनी,विघ्न विनाशक कष्ट हरें सब,

विमल बुद्धि दें बुद्धि प्रदाता,इसीलिए यह विनय करें सब।

 

आओ जी महाराज गजानन, घर में मेरे आप पधारो,

श्रद्धा से अर्जित सामग्री, भक्ति भाव मेरा स्वीकारो।

लोभ, मोह से ग्रसित हुआ मन, आस लगाये लम्बोदर से,

सन्मति देकर वक्रतुंड जी, पार लगायें भव सागर से।

आशीषों के मोती चुनना, चाह रहा प्रिय भक्तों का मन,

विघ्नेश्वर के जयकारों से , गूँज रहा है हर घर आँगन।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश