कहीं यें न हो जाएं - सुनील गुप्ता
Updated: Dec 28, 2024, 21:46 IST
| ( 1 ) कहीं
यें न हो जाएं
जो सोचा था यहाँ पे....,
उससे कहीं बदतर और न हो जाएं !!
( 2 ) यें
उलझने बढ़ने न पाएं
सुख शांति सुकून की दौलत....,
इस बदलाव में, कहीं खो न जाएं !!
( 3 ) न
उम्मीदें छोड़ी, न तमन्नाएं
समय के साथ बढ़ते गए....,
कभी खुशियाँ, तो कभी दुःख गम आए !!
( 4 ) हो
सब कुछ यहाँ, जैसा सोचें
कतई जरूरी नहीं ज़िंदगी में....,
यहाँ जैसा नियति चाहे, बस हो जाए !!
( 5 ) जाएं
ज़िंदगी को समझते हुए
अनुभूति हमें सिखलाती जीवन फलसफ़ा.,
बस तरन्नुम में चलें, हम ज़िंदगी जीए !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान